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दिवाली नहीं देखी- Diwali Nahi Dekhi-best Ghazal by N kumar

रात देखी मगर इतनी काली नहीं देखी! 

लगता है इस घर ने, दिवाली नहीं देखी!! 

देखीं कई सड़कें, जो मसरूफ़ देखी, 
मगर सड़कें कभी इतनी खाली नहीं देखी!! 

जिस ओर था बसेरा इस बेघर परिंदे का, 
शायद किसी ने पलटकर वो डाली नहीं देखी!! 

मैंने ख्वाबों के रुबरु तो कई लोग देखें, 
आंखें इतनी किसी की सवाली नहीं देखी!! 

क्या जानते हैं कूड़ेदान में पकवान फेकने वाले, 
कुछ है ऐसे भी लोग, जिन्होंने थाली नहीं देखी!! 

मैंने बुरे शब्द बहोत से सुने है "कुमार "
पर गरीबी से बड़ी कोई गाली नही देखीं!! 
N kumar



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3 Comments

fiza Tanvi

15-Dec-2021 06:48 PM

N Kumar sahab aap bahut bahut accha likhte he ۔۔۔۔۔

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Sana Khan

06-Dec-2021 07:06 PM

Bemisaal kalam hae apki sir

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🅽 🅺🆄🅼🅰🆁

07-Dec-2021 01:01 AM

Thank you🙏🙏

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